ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़ Chhattisgarh under British Protectorate

Cgpsc mains notes !  Paper 3 part3 ! history of  Chhattisgarh
ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़ Chhattisgarh under British Protectorate



छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश का कार्यकाल दो चरणों में पूर्ण हुआ-

  • ब्रिटिश नियंत्रण काल 1818 से 1830 में 12 वर्ष के लिए।
  • ब्रिटिश शासन 1854 से 1947 तक 93 वर्षेा तक।

    ब्रिटिश नियंत्रण काल 1818 से 1830

    पृष्‍ठभूमि- 

    परसोजी की मृत्‍यु के बाद उनकी पत्‍नी काशीबाई सती हो गई। अप्‍पा साहब उत्तराधिकारी बना। तत्‍कालीन परिस्थितयों में नागपुर राज्‍य से अंग्रेज और अप्‍पा साहब के बीच सहायक सन्धि हुई। इस सन्धि में निम्‍नलिखित शर्ते रखी गइ- अंग्रेजो को 7.11 लाख रू देने पड़े। इस सन्धि में नागोपन्‍त और नाराण पन्डित का योगदान रहा। दोनों को अंग्रेजों  ने पुरस्‍कार स्‍वरूप 25 हजार एवं 15 हजार रूपये का पेंशन   दिया गया । इस संधि से अप्‍पा असंतुष्‍ठ थे। वे सन्धि के खिलाफ थे अत: आगे चलकर पेशवा बाजीराव द्वितीय एवं अंग्रेज तृतीय आंग्‍ल मराठा युद्ध हुआ। सीताबर्डी युद्ध का आधार बना। सम्‍पूर्ण राज्‍य नागपुर अंग्रेजों के हाथ में चला गया। ब्रिटिश अधीक्षकों की नियुक्‍ति की गई।

    ब्रिटिश अधीक्षक- 

    • इनपर रेजीडेन्‍ट का नियंत्रण होता है।
    • ब्रिटिश अधीक्षक जो कि रेजीडेन्‍ट (प्रतिनिधी) के अधीन होता है एवं रेजीडेन्‍ट गवर्नर जनरल के अधीन होता है।

    छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश अधीक्षकों का क्रम-

    कैप्‍टन एडमण्‍ड

    मिस्‍टर एगन्‍यु

    कैप्‍टन हंटर

    मिस्‍टर सैन्डिस

    मिस्‍टर विलकिन्‍सन

    मिस्‍टर क्राफार्ड

    कैप्‍टन एडमण्‍ड-

    • कैप्‍टन एडमण्‍ड प्रथम ब्रिटिश अधीक्षक थे- (स्‍त्रोत हैविट की रिपोर्ट के अनुसार)
    • इसके समय अप्‍पा साहब से प्रेरणा प्राप्‍त कर डोंगर गढ़ जमींदारों का अंग्रजों के विरूद्ध विद्रोह हुआ।
    • कैप्‍टन एडमण्‍ड का कार्यकाल कुछ माह ही तक था।

    मिस्‍टर एगन्‍यु-

    • मिस्‍टर एगन्‍यु का प्रमुख कार्य में छत्तीसगढ़ की राजधानी को  रतनपुर से रायपुर स्‍थांना‍न्‍तरित किया गया।
    • प्रशासनिक ठांचे का पुर्नगठन कर 27 परगने से 8 परगनों में बदला गया।

    8 परगना का नाम

    रायपुर

    रतनपुर

    राजरो

    धमतरी

    दुर्ग

    धमधा

    नवागढ़

    खरौद

    • धमधा के गोंड राजा के  विद्रोह को शांत किया ।
    • बस्‍तर एवं जैपुर ओडीशा जमींदार के मध्‍य कोटपाड़ परगना विवाद को सफलता पूर्वक सूलझाया।
    • कुछ समय बाद उन्‍होंने पद से त्‍याग पत्र दिया।

    कैप्‍टन हंटर- 

    • कैप्‍टन हंटर का कार्य काल छोटा था। उनकी जानकारी अनुपलब्‍ध है।

    मिस्‍टर सैन्डिस- 

    • अंग्रेजो एवं रघुजी तृतीय के मध्‍य संन्धि 1826 में हुई।
    • छत्तीसगढ़ में डाक तार का विकास किया ।
    • अंग्रेजी भाषा को सरकारी कामकाज का माध्‍यम बनाया।

    मिस्‍टर क्राफर्ड- 

    • अंग्रेजो की ओर से भोंसला शासन के साथ सन्धि इस सन्धि में छत्तीसगढ़ का प्रशासन पुन- भोंसला कृष्‍णाराव अप्‍पा को सौंपा।
    • मिस्‍टर क्राफर्ड ने सत्‍ता का हस्‍तांतरण भौंसला शासक को 7 जुन 1830को किया।

    ब्रिटिश शासन 12 वर्षों की विशेषताएं एवं विशेष तथ्‍य , समीक्षा-

    • मि.एगन्‍यु का सर्वाधिक योगदान छग में रहा ।
    • टकोली व्‍यवस्‍था में मौलिक परिवर्तन किया गया।
    • मि, एगन्‍यु द्वारा जमींदार संबंधित दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर कर सहमत कराया।
    • मराठा राजा द्वारा शिवरी नारायण मन्दिर में दान दिये गांवो से संबंधित सनद में भी एनन्‍यु की सील मिले हैं।

    चीजम लिखता है- मिस्‍टर एगन्‍यु ने छत्तीसगढ़  में विद्यमान शासन के दोषों को दूर कर उसे व्‍यवस्थित वैज्ञानिक विकासशील और गतिशील बनाया।

    ब्रिटिश शासन 1854 से 1947 तक-

    पृष्‍ठभूमि-

    13 मार्च 1854 को नागपुर राज्‍य अंग्रेजी साम्राज्‍य में विलय हो गया था। 1 फरवरी 1855 को अन्तिम मराठा जिलेदार गोपालराव ने शासन प्रथम डिप्‍टी कमिश्‍नर चार्ल्‍स सी इलियट को सौंपा। चार्ल्‍स सी इलियट ने सम्‍पूर्ण छत्तीसगढ़ सूबा क्षेत्र को एक जिला के रूप में स्‍थापित किया।

    छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश प्रशासन स्‍वरूप-

    • जिला का अधिकारी डिप्‍टी कमिश्‍नर
    • डिप्‍टी कमिश्‍नर के अधीन सहायक कमिश्‍नर एवं अतिरिक्‍त कमिश्‍नर आते थे।

    • अतिरिक्‍त कमिश्‍नर बिलासपुर- गोपाल राव आनन्‍द एवं
    • अतिरिक्‍त कमिश्‍नर रायपुर- मोहिबुल हसन।

    छत्तीसगढ़ में पंजाब की प्रशासनिक व्‍यवस्‍था लागू-इस व्‍यवस्‍था में 1- माल 2- दीवानी क्षेत्र शामिल थे ।

    दीवानी क्षेत्र में‍ डिप्‍टी कमिश्‍नर का सम्‍पूर्ण अधिकार होता था। इसके अधीन अधिकारी उन्हें 5000 रूपये सालाना जमा कर देते थे।

    डाक व्‍यवस्‍था- हरकारे तैनात व्‍यवस्‍था

    तहसीलदारी व्‍यवस्‍था आरम्‍भ-

    3 तहसील का निर्माण- रायपुर, धमतरी, रतनपुर

    1 तहसील- 1 तहसीलदार वेतन 150 रूपये प्रति माह।

    तहसीलदार को दीवानी एवं फौजदारी अधिकार प्रदत्‍त कीया गया था।

    साथ ही मराठा कालीन पद कमाविसंदार को बदलकर नायब तहसीलदार कर दिया गया। जो कि परगना का प्रमुख होता था। नायब तहसीलदार को 50 रूपये प्रतिमाह वेतन दिया गया।

    क्रम- डिप्‍टी कमिश्‍नर⇒ तहसीलदारनायब तहसीलदार

     तहसील मुख्‍यालय के कर्मचारी-

    तहसीलदार

    नायब तहसीलदार

    एक सिया नवीस

    कानूनगो

    मोहर्रिर

    1 फरवरी 1857 से तहसील का संख्‍या-

    रायपुर,

    धमतरी,

    धमधा,

    नवागढ़,

    रतनपुर

    बाद में धमधा को दुर्ग तहसील में बदल दिया गया।

    मध्‍य प्रांत का गठन -

    2 नवम्‍बर 1861 में मध्‍य प्रांत को दो भागों में बांटा गया।

    1. नागपुर राज्‍य क्षेत्र
    2. सागर नर्मदा राज्‍य क्षेत्र

    नागपुर राज्‍य क्षेत्र -इसके अंतर्गत 3 संभाग इस प्रकार हैं

    1-नागपुर संभाग

    अधीन जिला- नागपुर, वर्धा,भण्डारा,चांदा

    2-रायपुर संभाग

    अ‍धीन जिला- रायपुर जिला, बिलासपुर,संबलपुर

    3-गोदावरी तालुक संभाग

    अ‍धीन जिला- गोदावरी तालुक अपर, बस्‍तर जिला

    सागर नर्मदा राज्‍य क्षेत्र

    1 सागर संभाग

    अधीन जिला- सागर, दमोह, होशंगाबाद, बैतूल

    2 जबलपुर संभाग

    अधीन जिला- जबलपुर, मंडला, सिवनी

    छत्तीसगढ़ संभाग का गठन -

    • 1862 में छत्तीसगढ़ स्‍वतंत्र संभाग बना
    • इसका मुख्‍यालय रायपुर बनाया गया।
    • रायपुर एवं बिलासपुर तथा संबलपुर जिला सामिल थे।
    • रायपुर एवं बिलासपुर के डिप्‍टी कमिश्‍नर नियुक्‍त किया गया।
    • 1905 तक यह व्‍यवस्‍था बनी रही। 

    1905 में परिवर्तन-

    बंगाल प्रांत (बिहार) छोटा नागपुर 5 रियासत मध्‍य प्रांत में शामिल

    5 रियासत-

    चांगभखार

    कोरिया

    सरगुजा

    उदयपुर

    जशपुर

     

    3 जिले निर्मित- रायपुर बिलासपुर दुर्ग

    यह व्‍यवस्‍था 1947 ई तक जारी रहा ।

    छत्तीसगढ़ में राजस्‍व व्‍यवस्‍था-

    रायपुर डिप्‍टी कमिश्‍नर मिस्‍टर इलियट ने 1855 से 1857 तक 3 वर्षीय राजस्‍व व्‍यवस्‍था लागू किया। इसके अंतर्गत भू राजस्‍व निर्धारण हलों की संख्‍या पर आधारित।

    परगना को 9 से 12 कर दीया गया।

    क्रम-

    जिला

    तहसील

    परगना

    रेवेन्‍यु सर्कल

    गांव

    • पटवारियों की नियुक्ति किया गया ।
    • 3 पुराने परगनें - राजरो खल्‍लारी लवन को बदलकर सिमगा, गुलू, बीजापुर,मारो में बदलदिया गया।

    राजस्‍व क्षेत्र विभाजन-

    • खालसा क्षेत्र - क्रम सरकार गोटिया किसान
    • जमींदारी क्षेत्र- सरकार, जमिंदार, मालगुजार
    • ताहूतदारी क्षेत्र - ताहूतदार

    इस प्रकार आय का स्‍त्रोत भूमिकर था। जिस का नियंत्रण सरकार द्वारा होता हैं।

     

    छत्तीसगढ में ताहूतदारी प्रथा/ व्‍यवस्‍था -

    छग में ताहूतदारी प्रथा का सूत्रपात- अधीक्षक सेंडीस 1825 - 28 द्वारा किया गया ।

    ताहूतदारी के अंतगर्त - लोरमी एवं तरेंगा का निर्माण।

    मराठाकाल में ताहूतदारी - सिरपुर, और लवन ताहूतदारी ।

    सी इलियट के द्वारा निर्माण- सिहावा, खल्‍लारी, संजारी।

    छग में ताहूतदारी प्रथा  उद्देश्‍य-

     पड़ती भूमि को कृषि क्षेत्र मे बदलना। इसमें ताहुतदारों को अपनी राशि का प्रयोग कर क्षेत्र का विकास करना होता था।

    परिणाम-  यह व्‍यवस्‍था  असफल रही।यह प्रथा गोंटिया एवं जमींदार व्‍यवस्‍था के समान लोकप्रिया न हो सकी और फेल हो गयी।

     

    ब्रिटिश शासन में आय के स्‍त्रोत-

    1854 के पहले यह स्‍त्रोत थे-

    भूराजस्‍व,

    टकोली,

    आबकारी,

    पंसारी सेवाय

    कलाली

    दीगर सेवाय

     

    1 जून 1856 के बाद 4 स्‍त्रोत -

    भूराजस्‍व

    आबकारी (माद्रक दवों की बिक्री पर)

    सायर (चुंगी कर)

    पंडरी (गैर किसानों पर कर )

     

    छत्तीसगढ़ ब्रिटिश शासन कालीन अधिकारी-

    रीस्‍तेदार  (राजस्‍व विभाग नवीन अधिकारी 1856 से)

    नायब श्री रीस्‍तेदार

    मुहाफिज

    दफ्तरी

    वासील - बाकी नवीस

    परगना नवीस

    मोहर्रिर

    नाजिर

    कोषागार खजाना विभाग के अंतर्गत-

    खजांची (केशियर)

    सियानवीस

    मोहर्रिर

    फोतदार आदि।

    न्‍याय व्‍यवस्‍था-

    • फौजदारी न्‍याय- इन मामलों के शीघ्र निपटान हेतु संभाषण पद्धति का प्रयोग किया गया।
    • दीवानी न्‍याय मामले- में राजीनामा व्‍यवस्‍था का प्रयोग किया गया।

     

    छत्तीसगढ़ ब्रिटिश शासन का निर्ष्‍कष- 

    1854 में ब्रिटिश  शासन स्‍थापना को 100 वर्ष हो गया। पहली बार उन्‍होंने शान्ति सुव्‍यवस्‍था की स्‍थापना की शुरूवात कि  इसके अंतर्गत कृषि उद्योग को प्रोत्‍साहित किया गया नवीन भूमि व्‍यवस्‍था , राजस्‍व व्‍यवस्‍था, यातायात के साधनों की उन्‍नति, उचित कराधान प्रणाली समुचित न्‍याय व्‍यवस्‍था, पुलिस व्‍यवस्‍था से विकासोन्‍मुखी आधुनिक युग प्रारम्‍भ हुआ । 


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