छत्तीसगढ़ के लोग कैसे होते हैं कैसे रहते हैं-
छत्तीसगढ़ को तीन प्रभागों में बांटा जाता जा सकता हैं। उपरी छत्तीसगढ़ मध्य छत्तीसगढ़ एवं बस्तर । तीनों ही भागों में रहने वालें लोगों में एक बात तो कॉमन है वह है मेहमान की खातिरदारी करना एवं रिश्तेदारी बखूबी निभाना । आइऐ विस्तार से देखें-
उपरी छत्तीसगढ़- यह क्षेत्र सरगुजा संभाग के अंतर्गत आता हैं। यहां के लोगों में अनेक विशेषता हैं यह क्षेत्र सर्वाधिक ईसाई धर्म को मानता हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अव्व्ल हैं खाप पान में आगे एवं ईश्वर भक्ति नाग गान लगभग सभी क्षेत्र में आगे रहने वाला है। छत्तीसगढ़ के उच्च पदों पर आसिन अधिकारियों में इस क्षेत्र से काफी लोग हैं। हालांकि यह क्षेत्र अनुसुचितसुचित जनजाति वाला भाग हैं। जो कि अन्य राज्य बिहार झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि से जुड़ा हुआ हैं अत: यहां की भाषा छत्तीसगढ़ के साथ उन राज्यों की भाषा की मिक्सर बन गयी हैं। उचे उचे पठार वाला क्षेत्र छत्तीसगढ़ का सबसे उंचा चोटी यही पर है। छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट इसी भाग में हैं।
दूसरा क्षेत्र मध्य छत्तीसगढ़ का क्षेत्र हैं इसके अंतर्गत तीन संभाग एवं 16 जिले हैं। जो कि छत्तीसगढ़ का जान कहलाती हैं । क्योंकि जितने भी स्मार्ट सीटी रायपुर बिलासपुर इसी क्षेत्र में आते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी क्षेत्र रायपुर भिलाई राजनांदगांव दुर्ग कोरबा जैसे विकसित जिले शामिल हैं। प्रशासनिक एवं राजनीतिक एवं आर्थीक द्ष्टि से देखे तो यह प्रमुख केन्द्र हैं। यहां की भाषा छत्तीसगढ़ी हैं पर कुछ सामान्य अन्तर हैं कुछ विविधता हैं पर कुछ मिला कर मिलाजुला भाषा हैं। यहां के लोग मेहनती ईमानदार निष्ठावान एवं समझदार हैं। छत्तीसगढ़ का इतिहास इस क्षेत्रों में संपन्न माना जाता हैं। यहां लगभग कुछ प्रतिशत अन्य राज्यों से आये लोग की अधिकता हैं ग्रामीण क्षेत्र में कृष प्रमुख आधार हैं। स्थानीय युवा काम की तलाश करने शहर में आकर रहता हैं। इस छत्तीसगढ़ीक्षेत्र में किसी भी चीज की अभाव नहीं हैं। लोगों में आपसी भाईचारा मिलनसार प्रवृत्ति के साथ अपने जीवन व्यापन पर जोर दिया जाता हैं।
बस्तर - यह क्षेत्र काफी मशहूर है क्यों कि कभी न कभी यहां की खबरे नेशनल मिडिया का कवरेज भी बनती हैं। यह भाग 1998 के बाद नक्सलियों के प्रभाव में आया। उन्होने बस्तर क सीमावर्ती भाग जैसे तेलंगाना, आंध्रप्रदेश,ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे सीमा के घने जंगलों के आसपास के गांव को अपना निशाना बनाया। हालांकि यह समस्या तो हैं पर यहां की संस्कृति इतिहासरहन सहन खान पान राजनीति काफी उच्च कोटी की हैं। यहां की सुन्दरता विश्व प्रसिद्ध है यहां के घरातलीय सौन्दर्य देखकर मन खुश हो जाता हैं। बस्तर में अनुसुचित जनजाति लोग एवं आदिवासी सर्वाधिक हैं। साथ अन्य राज्यों से आये लोगों की भी अधिकता हैं। जो एक बार यहां आकर रहता हैं यहां के शांत परिवेश प्राकृतिक संसाधन की प्रचुर उपब्धता एवं मिलनसार गुणों के कारण यही का बांसीन्दा हो जाता हैं। फिर उसे शहरों की भीडभाड शोरगुल प्रदूषण से आजादी मिल जाती हैं। यहां के जंगल में लगभग सारें पेड़ पौधे काम के हैं जिनका कोई न कोई उपोग जरूर हैं । यहां के आदिवासी अपनी जरूरत की चीजें आसानी सेजुटा लेते हैं। सरकारी योजना का यहां भरपूर सहयोग होने के कारण यह क्षे निरंतर विकास की ओर बढ़ रहा हैं। साफ हवा साफ पानी शांत वातावरण के साथ यहां के लोग मिलनसार, मेहमानवाजी में सबसे आगे, फल फुल सब्जी मांस स्थानीय शराब की प्रचुरता के साथ ठंडा मौसम यहां की पहचान हैं।
बस्तर के लोगों को पिछड़ा हुआ माना जाता हैं यह सरासर गलत हैं बस्तर के लोगों ने अपनी पहचान दुनिया के कोने कोने में बनायी हैं। बस्तर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पर्यटन राजस्व प्रदान करता हैं। बस्तर के उद्योग पूरे एशिया में अव्वल हैं। यहां के प्राकृतिक संसाधन की शु'द्धता कही ओर नहीं मिलती। शासन प्रशासन की नितियों के कारण बस्तर उंचाइयों की ओर अग्रसर हैं।
छत्तीसगढ़ के लोग क्या खाते हैं - यहां के लोग सबसे ज्यादा चावल ही खाते हैं मतलब अन्न का बड़ा हिस्सा चावल को माना गया हैं। साथ ही शाक सब्जी दालें चना गुण का भी बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता हैं। एवं यहां के व्यंजन की बात हीअलग हैं 100 से ज्यादा प्रकार के व्यंजन बनाये जातें हैं। वर्तमान में इन व्यंजन के लिए तो जगह जगह पर गढकलेवा जैविक कैफे जैसे स्पेशल रेस्टोरेन्ट भी खोले गये हैं। यहां के लोग घरों के बाड़ो में ही सब्जी भाजी की खेती करते हैं और ताजे ही इस्तेमाल करते हैं।
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